वासना -संयम और गांधी जी
एल आर गांधी
बापू की अस्मत फिरंगिओं के बाजार में नीलाम होने जा रही है। बापू यूँ तो कई बार नीलाम हुए मगर इस बार की बात कुछ 'निजी ' सी है .... राज परिवार के गान्धिओं की निज़ता का विशेष ख्याल रखने वाली गाँधीवादी सरकार उदासीन सी है। नीलामी में बापू के तीन खत बिकेंगे … एक खत में बापू ने अपने ज्येष्ठ पुत्र हरी लाल के बारे में बहुत ही सनसनीखेज़ - निजी तथ्य उजागर किये हैं ।खत में बापू ने बेटे पर अपनी ही पुत्री के साथ दुष्कर्म का आरोप लगाया था …
हरी लाल ने १९३६ में इस्लाम कबूल लिया था और हरी लाल गांधी से अब्दुल्लाह गांधी हो गए थे … अब अब्दुल्लाह हुए हरी के लिए तो शरीयत की मान्यताएं ही उपयुक्त रही होंगी जिनमें … बाग़ के फूल पर सबसे पहला हक़ 'माली ' का होता है। .
फिर गांधी जी की निजी मान्यताएं भी वासना -संयम और ब्रह्मचर्य पर 'आश्चर्यजनक ' ही थीं । अपनी वासना पर संयम की परीक्षा के लिए बापू अपनी युवा सवयंसेविकाओं के साथ 'हमबिस्तर ' होते थे … चलने फिरने के लिए भी उन्हें दो युवा सेविकाओं के कन्धों की दरकार थी … अब ब्रह्मचर्य के इस प्रयोग में गांधी जी सफल रहे तो क्या उनके अनुयायी भी सफल रहेंगे … क्या गारंटी है ?
बेचारे आशाराम 'बापू' वासना -संयम के ऐसे ही खेल में धरे गए … बेरहम मिडिया ने एक नही सुनी और बलात्कारी बना दिया … शुक्र है बापू के वक्त ये घ्राण शक्ति युक्त श्वान … मुआ मिडिया नहीं था .
बापू के अनुयायी तो आज भी जी -जान से वासना- संयम के इस प्रयोग में संलग्न हैं । वयोवृद्ध तिवाड़ी जी का तो सारा जीवन ही इन प्रयोगों में गुज़र गया … प्रयोग के प्रतिफल ९० की आयु में भुक्त रहे हैं । सच्चे गांधी वादी 'दिग्गी ' मियां वासना -संयम के ऐसे ही प्रयोग में लिप्त धरे गए … अब नाती -पोते दद्दू की बारात में 'अब्दुल्लाह ' बेगाना होने को तैयार बैठे हैं। राजमाता के एक वकील प्रवक्ता तो न्यायालय परिसर में स्थित अपने चैंबर में ही अपनी एक सहयोगी वकील के साथ वासना पर संयम का प्रयोग करते पकडे गए … वाच डॉग कुछ अरसा गुर्राया फिर मौन हो गया । वकील साहेब फिर से राजमाता के दरबार में बतिया रहे हैं।
बापू के समर्पित गाँधीवादी अनुयायी गांधीजी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए 'वासना -संयम ' के प्रयोग में अक्सर धरे जाते हैं और यह मुआ मिडिया का वाच - डॉग बोटी बोटी नोच खाने को आतुर है … हे राम
एल आर गांधी
बापू की अस्मत फिरंगिओं के बाजार में नीलाम होने जा रही है। बापू यूँ तो कई बार नीलाम हुए मगर इस बार की बात कुछ 'निजी ' सी है .... राज परिवार के गान्धिओं की निज़ता का विशेष ख्याल रखने वाली गाँधीवादी सरकार उदासीन सी है। नीलामी में बापू के तीन खत बिकेंगे … एक खत में बापू ने अपने ज्येष्ठ पुत्र हरी लाल के बारे में बहुत ही सनसनीखेज़ - निजी तथ्य उजागर किये हैं ।खत में बापू ने बेटे पर अपनी ही पुत्री के साथ दुष्कर्म का आरोप लगाया था …
हरी लाल ने १९३६ में इस्लाम कबूल लिया था और हरी लाल गांधी से अब्दुल्लाह गांधी हो गए थे … अब अब्दुल्लाह हुए हरी के लिए तो शरीयत की मान्यताएं ही उपयुक्त रही होंगी जिनमें … बाग़ के फूल पर सबसे पहला हक़ 'माली ' का होता है। .
फिर गांधी जी की निजी मान्यताएं भी वासना -संयम और ब्रह्मचर्य पर 'आश्चर्यजनक ' ही थीं । अपनी वासना पर संयम की परीक्षा के लिए बापू अपनी युवा सवयंसेविकाओं के साथ 'हमबिस्तर ' होते थे … चलने फिरने के लिए भी उन्हें दो युवा सेविकाओं के कन्धों की दरकार थी … अब ब्रह्मचर्य के इस प्रयोग में गांधी जी सफल रहे तो क्या उनके अनुयायी भी सफल रहेंगे … क्या गारंटी है ?
बेचारे आशाराम 'बापू' वासना -संयम के ऐसे ही खेल में धरे गए … बेरहम मिडिया ने एक नही सुनी और बलात्कारी बना दिया … शुक्र है बापू के वक्त ये घ्राण शक्ति युक्त श्वान … मुआ मिडिया नहीं था .
बापू के अनुयायी तो आज भी जी -जान से वासना- संयम के इस प्रयोग में संलग्न हैं । वयोवृद्ध तिवाड़ी जी का तो सारा जीवन ही इन प्रयोगों में गुज़र गया … प्रयोग के प्रतिफल ९० की आयु में भुक्त रहे हैं । सच्चे गांधी वादी 'दिग्गी ' मियां वासना -संयम के ऐसे ही प्रयोग में लिप्त धरे गए … अब नाती -पोते दद्दू की बारात में 'अब्दुल्लाह ' बेगाना होने को तैयार बैठे हैं। राजमाता के एक वकील प्रवक्ता तो न्यायालय परिसर में स्थित अपने चैंबर में ही अपनी एक सहयोगी वकील के साथ वासना पर संयम का प्रयोग करते पकडे गए … वाच डॉग कुछ अरसा गुर्राया फिर मौन हो गया । वकील साहेब फिर से राजमाता के दरबार में बतिया रहे हैं।
बापू के समर्पित गाँधीवादी अनुयायी गांधीजी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए 'वासना -संयम ' के प्रयोग में अक्सर धरे जाते हैं और यह मुआ मिडिया का वाच - डॉग बोटी बोटी नोच खाने को आतुर है … हे राम