गरीबी -मानसिक अवस्था और खैरात
एल आर गाँधी
आत्मविश्वास से लबरेज़ चोखी लामा वी -शेप की चप्लियाँ चटकाते सुबह सुबह आ धमके …. हलो … की हुंकार लगाई । आवाज़ में जोश और आक्रोश एक साथ छलक रहा था … अरे चोखी इतने चहक रहे हो … लाटरी लग गयी क्या ? चोखी तुनक कर बोले ! अरे मियां आज का अखबार पढ़ा ! आहुल जी ने सबकी बोलती बंद कर दी … गरीबी का रोना रोने वाले विरोधियों को साफ़ साफ़ शब्दों में दो टूक बता दिया … गरीबी एक मानसिक अवस्था है ! और कुछ नहीं ! खाना , पैसे और भौतिक नश्वर चीजों की कमी से इसका कोई लेना देना नहीं ! अगर आप में आत्मविश्वास है तो आप गरीबी से उबार सकते है !
दलितों को संबोधित करते हुए देश के भावी करनधार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि ' खैरात बांटने से गरीबी दूर होने वाली नहीं !
मुंह की दातुन का फ़ोलक थूकते हुए हमने चोखी के आत्मविश्वास को चार चाँद लगाते हुए हामी भरी … अरे चोखी यह आत्म विशवास की ही तो माया है , एक गरीब परिवार की महिला जो कभी तुम्हारी माफिक एक कैंटीन में जल-पान सेवा कर गुज़र बसर करती थी , आज हमारे देश के 'राज माता 'के सिंहासन पर आरूढ़ है … विश्व के सबसे अमीर राजनेताओं में उन्हें चौथा स्थान प्राप्त है … अब हमारे राजकुमार का यह आत्म विशवास ही तो है जो बड़े बड़े तीस मारखां कांग्रेसी नेताओं की 'क्लास ' लेते हैं । दर्ज़नों उद्योगिक घरानों ने राजकुमार को अपने निदेशक मंडल में शामिल कर रक्खा है और वह भी मोटी पगार पर …. ताकि कंपनी को राजकुमार जी की एक्सपर्ट एड्वायिज़ का 'लाभ' मिलता रहे ….
चोखी भाई अपनी मानसिक अवस्था बदलो …गुर्बत खुद ब खुद भाग जाएगी … चोखी का आत्मविश्वास राशन के खाली थैलों से भर गया …. आज भी मुआ डिप्पो नहीं खुला …खैरात का राशन कब मिलेगा …. बुदबुदाते हुए चल दिए …।