शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

ईमान का खूनी खेल

ईमान का खूनी खेल 
एल.आर.गाँधी 
पाक में शिया-सुन्नी का खूनी खेल बदस्तूर जारी है.... एक सुन्नी आत्मघाती जेहादी ने ठीक एक शिया मस्जिद के बाहर खुद को उड़ा दिया ...जुम्मे की नमाज़ में मशगूल २६ शिया पंथी मारे गए. कबाईली इलाके - खुर्रम में जब शिया मुसलमानों ने हमले के विरोध में जलूस निकला तो पुलिस की गोली से ३ शिया और मारे गए. पिछले १४०० साल से शिया -सुन्नी सम्प्रदायों में यह मोमिन-काफ़िर की जंग जारी है. सुन्नी मुसलमान शिया को काफ़िर मानता है क्योंकि शिया मुसलमान  हज़रत मुहम्मद के नाती हज़रत इमाम हुसेन को अपना नबी मानते हैं.
इस्लाम के अमन को पाक में शायद 'शमशान की शान्ति' मान लिया गया है. पिछले चार साल में लगभग तीस हज़ार पाकिस्तानी मुसलमान आतंकवाद का शिकार हुए हैं.... और वह भी अपने ही 'अल्लाह' को मानने वालों के हाथों . पाक के अल्पसंख्यक 'हिन्दू' काफिरों के सफाए के बाद अब अपने मज़हब के शिया काफ़िर ही बचे हैं .. अब उनकी बारी है .. इनके सफाए के बाद ही पाक को सही मायनों में 'पाकिस्तान'  अर्थात अल्लाह के पाक-साफ़ मुसलमानों का मुल्क कहलाने का गौरव प्राप्त हो जायगा. 
सचमुच इस्लाम अमनो अमान का पैरोकार है.