सोमवार, 19 मार्च 2012

महामहिम और राजमाता की निजता और सुरक्षा


महामहिम  और राजमाता 
की  निजता और सुरक्षा 
 एल.आर गाँधी 
पिछले दिनों भारत देश हमारा की महामहिम प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी जब गोवा बीच पर अपनी घुमक्कड़ जिज्ञासा को शांत कर रही थीं तो तीन मनचले फोटो पत्रकारों ने उनकी फोटो खींची और साथ में बिकनी में एक जोड़ा भी फोटो में आ गया . महामहिम के सुरक्षा कर्मियों ने तीनों मनचलों को महामहिम के निजी जीवन में तांक झाँक करने के दोष में पकड़ कर न्यायालय के समक्ष पेश कर दिया .. दलील यह कि महामहिम अपनी निजी यात्रा  पर थीं और इन्होने उनकी निजता के अधिकार में सेंधमारी की. 
अब समाज के वाच डाग ठहरे ये पत्रकार जो अपनी घ्राण  शक्ति के लिए ही तो जाने जाते हैं , कहाँ चूकने वाले थे. आर टी आई से महामहिम की 'निजी' यात्रा के बारे में जानकारी मांगी तो पता  चला कि यात्रा पर खर्च हुए ३८ लाख रूपए राज भवन ने खर्च किये हैं. ... कोर्ट ने संज्ञान लिया ... जब सरकार ने खर्चा उठाया तो कैसी निजी यात्रा...और कैसी निजता ?
कहने-सुनने में आया है कि भारत देश हमारा एक लोक तंत्र है और इस लोक तंत्र की मुखिया हैं हमारी ' महामहिम जी' . लोक तंत्र है तो हमारे चुने हुए ये राज नेता लोक सेवक . मगर हमारा यह 'सौभाग्य'   है कि हमारे भारत देश में महामहिम से भी ऊपर एक ' राजमाता जी' भी विराजमान हैं. महामहिम के विषय में मांगी गई आर टी आई की जानकारी तो तुरंत मिल गयी मगर 'राजमाता' के बारे में मांगी गई जानकारियां 'निजता और सुरक्षा ' के कठोर बुर्कों में बंद हैं. पिछले दिनों किसी जिज्ञासू ने 'राजमाता' के पिछले दस साल की आय कर की जानकारी मांगी तो राज भक्त आयकर अधिकारी ने 'इनकार' कर दिया- कारण 'राजमाता' की सुरक्षा और निजता ? एक जिज्ञासू ने ' राजमाता 'की विदेश यात्राओं पर पिछले तीन साल में हुए सरकारी खर्च की आर टी आई डाली तो अर्जी डेढ़-दो बरस विभिन्न मंत्रालयों के चक्कर काटते काटते थक गई.... भेद खुला तो कहते हैं कि खर्चा महज़ '१८८० करोड़ रूपए ' मात्र था.... दिग्गी राजा ठीक ही तो कहते है कि ये विरोधी विपक्ष हमारी राजमाता' से जलता है. 
अब तो लगता है कि विदेशी ताकतों ने भी भारतीय विपक्ष से हाथ मिला लिया है. पहले तो हमारे  जेठ मलानी जी ही 'राजमाता' के विदेशी खातों में अकूत धन राशी का राग अलापते थे और राजभक्त दिग्गी एंड कंपनी उसे झूठ मैलाय्निंग कह कर नकार देते थे. अब तो हद ही हो गई अमेरिकी वेबसाईट 'बिजनेस इन्सायिटर ' ने विश्व के २३ धनकुबेर राजनयिकों की सूची जारी की है और उसमें दिग्गी की 'राजमाता' को चौथे पायदान पर सुशोभि कर दिया है और २ से १९  अरब डालर की मालिक घोषित किया है. ... राज भक्त सत्ता पक्ष चुप है यह तो समझ में आता है .. मगर वाच डाग मिडिया भी तो टांगों के बीच दुम दबाए बैठा है .. समझ के बाहर है.  
पडोसी पाक के ज़रदारी भी इस सूची में १९ वे पायदान पर हैं और पी.एम् गिलानी सर्वोच्च न्यायालय के निशाने पर हैं ... विदेशी  बैंको में ज़रदारी के काले धन पर दबिश की खातिर.. मगर हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार नोटिस तो लिया मगर मनमोहन जी को सीधे सीधे कोई निर्देश देना शायद उचित नहीं समझा.
बंगाली बाबू ने अपने बजट भाषण में काले धन पर श्वेत पत्र का ज़िक्र तो किया है मगर मंत्रालय में पड़ी 'स्विस चोरों' की काली सूची को सार्वजनिक करने की मजबूरी बता डाली. 
कौन कहता है भारत देश हमारा एक गरीब देश है. जिस देश की राजमाता और महामहिम के खर्चे विश्व के किसी भी धनकुबेर के लिए ईर्षा का सबब हो सकते हैं. .. यह बात अलग है कि आधी से अधिक  आबादी २०/- रोज़ पर गुज़र बसर को मजबूर है. विश्व के ९२.५ करोड़ भूखों में ४५.६ करोड़ भारतीय हैं. कुपोषण के कारन १८.३ लाख बच्चे अपना पांचवा जन्म दिन नहीं माना पाते. 
गाँधी के नाम पर राजसत्ता का सुख भोगने वाले ये नकली गाँधी ,यथार्थ में गाँधी जी के आदर्शों से कोसों दूर हैं. अंग्रजों के नमक कानून के विरोध में गाँधी जी ने वायसराय को पत्र लिख कर उस वक्त की समाजिक विषमता का जो खाका खीचा था ,उसका साया आज मीलों लम्बा खिंच गया है. अपने पत्र में बापू ने वायसराय को लिखा ... आप का वेतन २१०००/- है , अर्थात ७००/- रोज़ और प्रति व्यक्ति आय २ आने से भी कम है. आप कि आय और आम आदमी की आय में ५००० गुना अंतर है. इस समाजिक आर्थिक विषमता को दूर करने के लिए सवतंत्रता सेनानियों ने कुर्बानियां दे कर देश को आज़ाद करवाया ... आज काले अंग्रेजों कि बदौलत समाजिक विषमता और भी बढ से बदतर हो गई है. महामहिम पर रोज़ ५ लाख ,पी.एम् पर ३.३८ लाख -औसतन नागरिक से १६९०० गुना अधिक  खर्च होता है. मंत्रिओं और अफसरों की तो बात ही छोडो ?   
तिस पर भी तुर्रा यह कि 'राजमाता' को देश के भूखे- नंगों की बहुत चिंता है और उनके ही आदेश से 'सब के लिए अन्न ' की विशाल एक लाख करोड़ी योजना पर अमल होने जा रहा है. 

मंगलवार, 13 मार्च 2012

गरीब भारत की रईस राजमाता


गरीब भारत की रईस राजमाता 
एल. आर गाँधी 
जब बाबा राम देव ने स्विस बैंकों में देश के काले धन को उजागर करने का अभियान छेड़ा तो राज माता ने अपने चार वृष्ट मंत्री बाबा को शीशे में उतारने भेजे ...बाबा नहीं माने तो पूरे खेल की परिणति 'रामलीला मैदान- रात्रि काण्ड' के रूप में सामने आई ... हमारे दिग्गी मियां  तो स्वामी जी को 'ठग' पुकारने लगे.
अब अमेरीकी वेबसाईट्स 'बिजनेस इन्सायिटर' पर विश्व के २३ धन कुबेरों के नाम प्रकाशित हुए हैं. कांग्रेसियों की राजमाता 'सोनिया जी' का स्थान चौथा है और पाक के आसिफ अली ज़रदारी का उनिस्वां.... सोनिया जी को २ से १९ अरब डालर अर्थात १० से ४५ हज़ार करोड़ की मालिक माना गया है. .. सबसे पहले जर्मन अखबार 'दी वेल्ट ' ने २३ रईसों की सूची छापी थी जिसमें सोनिया जी को रईसों में चौथे पायदान पर रक्खा गया था. इस खबर का स्त्रोत वर्ल्ड लग्ज़री गाईड को माना गया. 
अब दिग्गी मिया अमेरिकी वेबसाईट्स को झूठ का पुलिंदा बताएंगे या फिर जर्मन अखबार 'डी वेल्ट ' में पहले ही छप चुकी  खबर पर चुप्पी की भांति 'चुप' रहना ही बेहतर समझेंगे. या फिर राजमाता के निजी जीवन में ताँक झाँक करने और उनकी सुरक्षा में सेंध लगाने के घोर पाप के दोष पर अमेरिकी साईट्स और ज़र्मन अखबार पर मान हानि का मुकदमा ठोकेंगे.
विश्व के सबसे बड़े और विशाल लोकतंत्र का ढोल पीटने वाली हमारी सरकार और कानून व्यवस्था से तो पाक सर्वोच्च नयायालय ही अधिक सतर्क निकला. पाक प्रधान मंत्री को ज़रदारी के स्विस बैंक खातो पर कार्रवाही न करने के दोष में अभियुक्त करार दे दिया . यहाँ हमारे चोरों के सरदार और फिर भी ईमान दार ... राजमाता के हर राज़ पर पर्दा डालने में व्यस्त हैं और हमारे बंगाली बाबु ने तो स्विस सरकार से समझौता ही कर लिया की पुराने स्विस खातों को 'राज' ही रहने दिया जाए ... जिस प्रकार सोनिया जी ने , अपनी आय कर रिटर्न को सार्वजानिक न करने के पीछे अपनी निजता और सुरक्षा को ढाल बनाया , उससे तो दाल में कुछ काला नहीं बल्कि सारी दाल ही काली की कहावत चिर्तार्थ होती है.   

शुक्रवार, 2 मार्च 2012

सेकुलर मानसिकता और मानवाद्धिक्कार


सेकुलर मानसिकता और मानवाद्धिक्कार
    एल.आर.गाँधी 

इस्लाम के नाम पर पाक में अल्पसंख्यक हिन्दू लड़कियों पर अत्याचार जारी हैं मगर देश के सेकुलर शैतान चुप हैं. 
कराची से खबर है की प्रति माह पाक में करीबन २० हिन्दू लड़कियों का ज़बरन धर्म परिवर्तन कर मुसलमान लड़कों से निकाह करवा दिया जाता है. मीरपुर माथेलो की १७ वर्षीय रिंकल का सात दिन पहले अपहरण कर ज़बरदस्ती निकाह कर दिया गया. रिंकल ने अदालत में पेश हो कर ब्यान दिया की उस के साथ ज्यादती  हुई, वह अपने माँ बाप के पास घर जाना चाहती है फिर भी अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया और अपने अविभावकों से भी मिलने नहीं दिया गया. पाक हिन्दू कौंसिल की मंगला शर्मा ने कहा है की पाक ह्युमन राईट व् मिडिया ने एक माह में २० हिन्दू  लड़कियों के ज़बरन धर्म परिवर्तन की बात मानी है मगर यथार्थ में यह संख्या इससे कहीं  अधिक है.
देश के सेकुलर  राजनेता और मिडिया के शैतान चुप हैं. राष्ट्रिय  मिडिया ने तो इस खबर को अपने चेनल या अखबार में ज़िक्र योग्य भी नहीं समझा . गुजरात दंगों पर राजदीप सर देसाई जैसे 'एंकर' दसवी   द्साही पर सर मुंडाए फिर रहे हैं. दंगा  पीड़ित  मुसलिम  भाइयों  और  बहिनों  के  घर  घर  जा  कर  'मातमपुर्सी '  की  रस्म अदाई   कर  रहे   हैं . मगर साबरमती ट्रेन में जला दिए गए ५९ हिन्दुओं पर चुप हैं.... इन सेकुलर शैतानों की नज़र में शायद 'हिन्दुओं' का कोई 'मानवाधिकार' नहीं है. 
हमारे 'सेकुलर 'सिंह साहेब ' को एक बार जब मालूम हुआ की आस्ट्रेलिया  में एक 'मुस्लिम डाक्टर' को गलती से आतंकी  मान कर निकाल दिया गया है तो बोले ' मुझे जब पता चला तो सात रोज़  मैं ठीक से सो नहीं पाया !!!!.  इसे कहते हैं 'मानवता के प्रति समर्पित कुष्ट- मानसिकता..... जो केवल अल्पसंख्यक वोट बैंक के इतर सोच ही नहीं पाते. गाँधी वादी इन सेकुलर शैतानों को शायद 'तुष्टिकरण' में ही सेकुलरिज्म नज़र आता है.
भारत विभाजन के वक्त  हजारों हिन्दू-सिख मासूम कन्याएं पाक में रह गयीं ... एक अँगरेज़ समाजिक कार्यकर्त्ता ने दिन रात एक कर इन अगवा की गई कन्याओं की सूची तैयार की और उस वक्त के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों को अगवा बच्चियों की सूची छापने और उनकी खोज खबर के प्रयास करने को कहा तो गाँधीवादी कैरो साहेब ने 'इनकार' करते हुए कहा ...पुराने जखम कुरेदने से क्या फायदा. .. आज़ादी के बाद हमारे सेकुलर शैतानों ने पाक में रह गए २४% हिन्दू-सिख अल्पसंख्यकों के प्रति यही उपेक्षा का रवैया  इख्त्यार किया हुआ है. आज पाक में महज डेढ़ प्रतिशत हिन्दू-सिख अल्पसंख्यक बचे हैं. पिछले छह दशकों में उन्हें असहनीय इस्लामिक आतक सहना पड़ा और ज़बरन धर्म परिवर्तन का दंश सह कर जीने को मजबूर हुए ... बाकि को भगा  दिया या मौत की नींद सुला दिया गया. .... पाक के इस्लामिक आतंक की बलि वेदी पर अब तक ३५ मिलियन हिन्दू अपना अस्तित्व गँवा बैठे हैं मगर हमारे गाँधी वादी हुक्मरानों को केवल अपने यहाँ अल्पसंख्यकों की चिंता सता रही है, जब की पाक ,  भारत में मुसलमानों पर हुई किसी प्रकार की ज्यादती को पूरे विश्व में बढ़ा चढ़ा कर प्रचारित करता है और हमारे 'सेकुलर शैतान' पाक में हो रहे अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों पर मौन रहने को ही अपनी सैकुलर्प्रस्ती मानता है.  
बंगला देश जिसे इंदिरा जी ने पाक के क्रूर पंजे से छुड़ाया ..इस आशा में की वहा सेकुलर निजाम कायम होगा ,में हिन्दुओं की स्थिति पाक से भी बदतर है. विभाजन के वक्त यहाँ ३७% के करीब हिन्दू थे जो अब घटते घटते मात्र ७% रह गए है . पिछले दिनों बंगला देश में सरे आम इस्लामिक जेहादियों ने चार मंदिरों को मिस्मार कर डाला किसी सेकुलर शैतान ने उफ़ तक नहीं की.     .