रविवार, 5 जून 2011

चोर उच्चक्के बनाम भोले बाबा !!!!!

 चोर उच्चक्के बनाम भोले बाबा 

   एल. आर गाँधी 

हमारे  यहाँ पंजाबी में एक कहावत है ' चोर उच्चक्का चौधरी गुंडी रणं प्रधान '.   ४ जून को राम लीला मैदान में जो कुछ हुआ इस कहावत को ही चरितार्थ करता है. बाबा राम देव भी भोले हैं ! देश के सबसे बड़े चोर उच्चाक्कों पर विशवास कर बैठे. बाबा उनके मुंह पर ही पहले तो उन्हें चोर कह रहे हैं और उनसे ही कार्रवाही की तवक्को करते हुए ऐसे कानून बनाने की आशा पाले बैठे हैं की वे खुद ही फंदा बनाएं और खुद ही अपने गले में डाल कर लटक जाएं. 
बाबा बोले की हम भोले तो हैं -मगर बेवकूफ नहीं. मगर वे भूल गए कि शातिर लोग भोलों को बेवकूफ बनाने में माहिर होते हैं. हमारे केन्द्रीय  मंत्रिमंडल में यूँ तो एक से एक बढ़ कर शातिर नेता भरे पड़े हैं. मगर सिब्बल साहेब का जवाब नहीं. पहले भोले भाले अन्ना को बेवकूफ बनाया और अब बाबा को. अरे भोले पण की भी हद हो गई - एक और तो चोरों के 'सरदार' को इमानदार कहे जा रहे हैं. जिसकी सरपरस्ती में भ्रष्टाचार के नए नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे है- और फिर भी वह इमानदार है. इसे अन्ना और बाबा जैसे भोलों की बेवकूफी ही माना जायगा ..... चले हैं देश के ठगों को नकेल कसने !.  " तोहमतें आएंगी नादिर शाह पर - आप दिल्ली रोज़ ही लूटा करो - आज तो दिल्ली रोज ही लुट रही है. '
राज माता पर कोई तोहमत लगाए , तो दिग्गी जैसे वाच डाग टूट पड़ते हैं . पिछले दिनों सुब्रमनियम स्वामी ने आरोप  लगाया कि स्विस बैंकों में सोनिया जी का एक  लाख करोड़ जमा है. सोनिया जी भी चुप हैं और दिग्गी मियां की भी बोलती बंद है. अब इसका क्या अर्थ या अनर्थ निकला जाए. बाबा परोक्ष रूप में भ्रष्टाचार की माता को ही नंगा करने पर उतारू हैं. ऐसे में यदि बाबा यह सोचते हैं कि उनके भ्रष्टाचार और विदेशी धन वापस लाओ की मांग पर 'सरदार जी ' की सरकार पश्चिमोतान आसन लगा लेगी और भ्रष्टाचार की माता और उसके  मानस पुत्रों को सूली पर चढा देगी तो इसे बेवकूफी की हद तक का भोला पण ही कहा जाएगा. . 

अन्ना और बाबा बेवकूफी की हद तक भोले सही -मगर छह दशक की लूट खसूट के जनकों को जनता में नंगा करने का काम तो उन्होंने कर ही डाला. यह चिंगारी, कल के राम लीला मैदान की रामदेव लीला में सरकारी रावन के प्रवेश के बाद महाभारत के ,अमोघ अस्त्र का रूप भी ले सकती है.