शनिवार, 26 नवंबर 2011

अहिंसा का प्रतीक 'चांटा'

अहिंसा का प्रतीक 'चांटा' 
   एल.आर.गाँधी 

अहिंसा के प्रतीक चांटे की गूँज ...आज चारों दिशाओं में फैली हुई है. जब से हरविंदर सिंह ने 'महंगाई के टेढ़े गाल' पर सपाट चांटा जड़ा है ...सारा देश प्रतिक्रियाऑ के दो खेमों में बाँट गया है. एक तो वो हैं जो अपने आप को गांधीजी के आदर्शों का ठेकेदार मानते हैं और उनके अहिंसा परमो-धर्म के परचम को थामे हुए ....चांटे को ' राष्ट्र के खिलाफ हिंसा ही नहीं बल्कि विश्व की सारी की सारी मानवता के खिलाफ हिंसा से अलंकृत कर रहे हैं. . ये वही लोग हैं जो आम जनता को 'रोटी' मांगने  पर न्याय व्यवस्था 'लाठी' से पीटते हैं. भ्रस्टाचार और काले धन के खिलाफ रामलीला मैदान में बैठे 'आम आदमी' को आधी रात को उठा कर पीट पीट कर दौड़ते हैं और दौड़ा  दौड़ा कर पीटते हैं. क्या वह 'हिंसा ' नहीं थी . सारी संसद आज शरद- चांटे से विचलित है और अन्ना को नया  गाँधी वाद ' बस एक ही चांटा' घड़ने पर कोस रही है. कुछ तो इसे देश में अराजकता फ़ैलाने का षड्यंत्र भी मान रहे हैं.
हम भी जन्म से गाँधी हैं ... बचपन से बापू के 'महान' उपदेशों को पढने  और समझने- समझाने की कोशिश में लगे है ? यदि आज बापू जिन्दा होते तो अपने इन  सफ़ेद पोश 'कांग्रेसियों' से पूछते जरूर ...क्या यही शिक्षा दी थी मैंने की चांटा पड़ा और भाग खड़े हुए ... शेर पुत्र से पूछना तो था ...भई ये लो दूसरा गाल , एक और मारो .. मगर यह बतला दो की क्यों मारा ? चांटा मारने वाला सिंह पुत्र जोर जोर से महंगाई और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सिंघनाद कर रहा था और हमारे 'आटा  मंत्री' फिर भी कह रहे थे की मैंने ऐसा कुछ नहीं सुना !  ये कैसे गाँधीवादी हैं जो गाँधी जी के आदर्शों को इतनी जल्दी बिसरा बैठे. आज सारा देश भूख, बेकारी, बीमारी, बेईमानी ,भ्रष्टाचार,कालाबाजारी और कालेधन से बेज़ार है. और इन हालात के लिए जिम्मेवार नेता-अफसर त्रस्त जनता को 'हिंसा-अहिंसा ' का कायदा पढ़ा रहे हैं. 
बात गाँधी जी की  अहिंसा की चल रही है... तो एक किस्सा याद आया. साबरमती आश्रम में गांधीजी की गाए का बछड़ा 'भीरु' गंभीर बीमारी से त्रस्त.. तड़प रहा था , बापू से 'भीरु' ' का दर्द देखा न गया. फ़ौरन ढोर -डाक्टर को बुला भेजा . डाक्टर से बोले या तो इस का दर्द हर लो या फिर इसे मुक्ति दे दो. बापू ने अपनी आँखों के सामने 'भीरु' को मुक्ति का इजेक्शन दिलवाया . आज देश का ७०% दीन हीन मानुष भूख-बीमारी से त्रस्त है. उनकी यह हालत  अहिंसा के उस पुजारी के 'वारिसों' ने की है, जो उसके नाम पर लोगों को बरगला कर पिछले साढे छह दशकों से 'राज सिंघासन ' पर आरूढ़ हैं. 
चांटे की गूँज...  नेट पर लोगों के विचार देखे , अधिकाश का विचार है की 'चांटा' महंगाई और भ्रष्टाचार के गाल पर था न की किसी व्यक्ति विशेष के. अब भी वक्त है .. जनता के आक्रोश को समझने , आंकने और समय रहते निदान का.  वर्ना बहुत देर हो जाएगी ..... और अहिंसा की परिभाषा बदले देर नहीं लगेगी ..महज 'अ' शब्द का फेर है. अ से अराजकता भी होती है 
न क्षुधासम : शत्रु :... भूखा व्यक्ति कोई भी पाप कर सकता है. अत : सरकार का कर्तव्य है की देश में कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे.... चाणक्य   

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

अब शरद को चांटा

अब शरद को चांटा 
एल.आर.गाँधी 

भ्रष्ट तंत्र से त्रस्त हरविंदर सिंह ने महंगाई के प्रतीक केंट्रीय खाद्य मंत्री के टेढ़े मुंह पर सपाट चांटा जड़ दिया. 
शनिवार को हरविंदर दूरसंचार के पूर्व भ्रस्टाचार मंत्री सुखराम को भी चांटा रसीद कर चुके हैं. अब हरविंदर अपना तीसरा शिकार किस 'सिक-यू-लायर भ्रष्ट नेता को बनाएँगे...महंगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त ' भारतियों'  को इंतज़ार रहेगा.  आज नौंवी पातशाही गुरु तेगबहादुर जी का शहीदी दिवस है. ... आज ही के दिन गुरु जी ने उस वक्त के हुक्मरान ज़ालिम मुगलों के अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ बुलंद की और मजलूमों की रक्षा के लिए कुर्बान हो गए. आज के हुक्मरानों के  भ्रष्टाचार और महंगाई की मार से आज आम आदमी त्रस्त है . यह खतरे की एक घंटी है.... सभी राजनेता इस 'काण्ड' को कितना ही नकारें ...मगर सब्र का बाँध टूट रहा है...भ्रत्सना करने से राजनैतिक जवाबदेही चुकने वाली नहीं... राजनेताओं की प्रतिक्रियाओं में 'डर और पाप' साफ़ झलक  रहा है.  
न क्षुधा सम: शत्रु ... आचार्य चाणक्य ने ठीक ही कहा है ... भूख के समान शत्रु नहीं...हमारे खाद्य मंत्री शरद पवार जी आज महंगाई और भूख का प्रतीक बन गए हैं... संचार मंत्रालय में २ जी के सबसे बड़े घोटाले के बाद पूर्व संचार मंत्री सुख राम 'भ्रष्टाचार' के ' रोल माडल ' के रूप में सामने आए हैं जिन पर पिछले १५ साल से कोई कार्यवाही नहीं की गई. अब भूख और भ्रष्टाचार से त्रस्त आम आदमी अपने गुस्से का इज़हार करेगा तो 'गांधीजी  के अनुयायियों ' को अपना दूसरा गाल भी तैयार रखना होगा ? Mark Twain had rightly said ' The lack  of money is the root of all evil.
राज कुमार के अंग राक्षक भी अब चौकन्ने हो जायेंगे ... अब वे राज कुमार को कार का शीशा नीचे कर किसी भिखारी से यह पूछने का रिस्क नहीं उठाने देंगे ' भैया आप किस प्रदेश से हो'. कब कोई भूखा- भिखारी ' अपना भिख्शा पात्र मुंह पर दे मारे तो ?.... पवार साहेब जी की महानता देखो ..वे तो थप्पड़ को चांटा मानने को ही तैयार नहीं !!!!
कांग्रेस  अपने गिरेबान में अब भी झाँकने  को तैयार नहीं लगती .. दोष बी.जे.पी नेता यशवंत सिन्हा पर मढ़ा जा रहा है जिन्होंने हाल ही में चेताया  था की महंगाई -भ्रष्टाचार से त्रस्त लोग हिंसक हो सकते हैं.. हुक्मरानों को जनता के विश्व व्यापी मूड परिवर्तन को समझाना होगा ... अरब क्रांति का सन्देश साफ़ है ... त्रस्त भूखी,बीमार, लाचार जनता अब केवल मरेगी नहीं .....मारेगी भी !!!
तुमसे पहले जो यहाँ तख़्त नशीं था 
उसको भी अपने खुदा होने पर इतना ही यकीं था. 

शनिवार, 19 नवंबर 2011

दूर संचार ................के लम्बे के तार ..सुख राम पहुंचे राजा के पास ...तिहार.

दूर संचार ................के लम्बे के तार
सुख राम पहुंचे राजा के पास ...तिहार.

       एल. आर. गाँधी.

इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि १५ साल बाद 'दो बिल्लिया' एक साथ 'थैले '   से  बाहर  आई  हैं. १९९६ में एक ने क्रिकेट में देश को शर्मसार किया तो दूसरे  ने राजनीति में लूट का नया मील पत्थर स्थापित किया . खेल के मैदान पर जब सारा देश शर्मसार हो रहा था तो काम्बली के आंसू ' मैच फिक्सिंग 'का दर्द बयाँ साफ़ साफ़ कर रहे थे. अज़हरुदीन पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगे ..लम्बी जांच चली , चोर चोर मौसेरे  भाई के खेल के बाद नतीजा वही ढाक के तीन पात. अजहर ने उल्टा पांसा फेका की उसे 'अल्पसंख्यक' यानि के मुसलमान होने के कारण फसाया गया . वैसे  ही जैसे पंडित जी कह रहे हैं की उनके खिलाफ यह  राजनैतिक साजिश है. पंडित सुख राम जी को ३-३ केसों में सजा हो चुकी है .. करोडो रूपए उनसे बरामद हुए और करोड़ों की नामी- बेनामी सम्पति भी उनके नाम है. अजहर मिया ने यदि फिक्सिंग नहीं की तो उन्हें और तीन साथियों को खेल से अलविदा क्यों कर दिया गया.
महाकवि तुलसी दास जी ने १५ वी शताब्दी में ही साफ़ साफ़ कह दिया था ... सामर्थ को नहीं दोष गोसांई ! सुख राम जी कांग्रेस के शक्ति शाली मंत्री और हिमाचल के 'विकास पुरुष' पंडित जी थे और अज़हर मियां क्रिकेट का  खेल खेल कर अब सेकुलर राजनीति के खेल में मशगूल हैं. कांग्रेस के आलावा उनके लिए और योग्य पार्टी भला हो ही नहीं सकती . अर्थात कांग्रेस  के एम्.पी है. सजा अव्वल तो होती नहीं जैसे अजहर मिया ...होती है तो बार बार बेल पर छूट जाते है जैसे सुख  राम जी. सब माया की माया है. फिलहाल तो देश के दूर संचार को तार तार करने वाले एक वर्तमान .. राजा  और एक भूत पूर्व सुख राम .. तिहार में बगलगीर हो गए हैं.   मोह माया के चक्कर में  सुख राम जी ८४ के हो गए ...उम्र तो है, मोह माया त्याग , संन्यास आश्रम में परवेश कर साधू संतों की संगत  में राम नाम रटने की .. मगर पहुँच गए तीहार जेल के चोर उच्च्क्कों में. 'कलमाड़ी और राजा'  के पास तिहार में ...खूब गुज़ारे गी.. जब मिल बैठेंगे नए पुराने चोर... 
    

गुरुवार, 10 नवंबर 2011

सिंघ साहेब का 'शांति पुरुष'


सिंघ साहेब का  'शांति पुरुष' 
    एल. आर. गांधी 
इस  माह २६ नवम्बर को तीन वर्ष हो जाएंगे ..ग्लानी जी के 'शांतिदूत' की मेहमान नवाजी को . इसे हम  अतिथि देवोभव की प्राचीन राष्ट्रिय संस्कृति कहें या फिर हमारे सेकुलर शैतानो का आस्तीन में  सांप पालने का गाँधी वादी व्यसन. हमारे 'ईमानदार', गाँधीवादी, अर्थशास्त्री,प्रधान मंत्री जी ने पाकिस्तान के वजीरे-आला युसूफ रज़ा गिलानी को दक्षेस शिखिर संमेलन में 'शांति पुरुष' कह कर अंग्रेजी की कहावत... 'As dog return to its vomit, so a fool repeat his foolishness. जैसे कुत्ता अपनी उल्टी खाने को लौटता है , वैसे ही मूर्ख अपनी गलती दोहराता है, की कहावत को चिरतार्थ कर दिया. 
वोट के अंधे नाम नयन सुख हमारे यह 'सेकुलर शैतान' मूर्खता की सभी सीमाएं लांघ गए है . जिस शैतान ने हमारी आर्थिक  राजधानी मुम्बई पर जेहादी भेज कर देश की अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने का षड्यंत्र किया और १६६ निर्दोष भारतियों को मौत के घाट उतार दिया ...उसे हमारे प्रधान मंत्री जी ने  'शान्ति पुरुष' की उपाधि दे डाली ... अब तो बस अजमल कसाब को ग्लानी जी का 'शांति दूत ' घोषित करना बाकी है. और हाँ एक दूत के साथ एक परम आदरणीय अतिथि के व्यवहार की तो सभी सीमाएं हम पार कर ही चुके .... ५५ करोड़ रूपए से भी अधिक ,  उसकी तीमारदारी पर खर्च कर !  अब तो बस यह ' शान्ति दूत ' वापिस पाक को बा- इज़त सौंपना ही बाकी है ... या फिर किसी कंधार हाईजैक का इंतज़ार है !
हमारे सिक-यु-लायर हुकुमरानो ने समय और इतिहास के काल चक्र से कोई सबक नही सीखा. इस्लामिक जेहाद ने पिछली १५ शताब्दिओ मे १०० मिलियन हिन्दुओ और ६० मिलियन इसाईयो  की बळी ले लीई. और आज भी विश्व के अस्तित्व को इस्लामिक जेहाद  से ही सबसे बडा खतरा है. शायद ये उस दिन के इंतेजार  मे  है जब सारा देश दारूल -इस्लाम हो जाएगा ?  
आज 'गुरूपर्व' का पवित्र दिवस है - आज के दिन 'सरबत का भला ' चाहणे  वाले महान संत गुरु नानक देव जी का परकाश हुआ था. गुरु जी 'बाबर' के समकालीन  थे- बाबर के अत्याचारो को देख कर गुरु जी ने उसे 'जाबर' अर्थात जुलमी कह कर पुकारा. एनी मार पडी कुर्लाने- तै किई दर्द न आया भी गुरु जी ने बाबर के जुल्मो-सितम से द्रवित हो कर बोला.इसी दिन को हमारे सिंघ साहेब ने 'बाबर' के एक अनुयायी को 'शांती पुरुष' की उपाधी दे डाळी. २००५ में हमारे सिंघ साहेब अपने साथ राज कुमार को ले कर अफगाणिस्तान पहुचे ताकि भारत द्वारा अरबो रुपये खर्च कर किये जा रहे निर्माण कार्यो  का जायजा ले सके. लगे हाथो बाबर की मजार पर गये और एक 'जाबार' को श्रद्धांजली अर्पित की . अब तो अफगाणिस्तान के हुक्म्रान करजाई ने भी साफ कर दिया की वे तो पाकिस्तान के साथ है ...  भले ही भारत और अमेरीका  उन पर कितना ही  धन खर्च  करे. ...कुरान में साफ हिदायत है की काफिर चाहे कितना ही   धर्मात्मा हो वह किसी गुनाहगार मुस्लीम से बेहतर नही होता. करजाई के इस इस्लामिक तेवर से हमारे सिक-यु-लायर हुकमराण नही चेते ..और निकल पडे  ग्लानी को अलंकरित करने. इसे कहते है - सांप को दूध पिलाने का पुराना व्यसन . चाणक्य के उपदेश को भी भूल गये ' सांप को कितना ही दूध पिलाओ फिर भी विष ही वमन करता  है. 

सिंघ साहेब का 'शांति पुरुष'


सिंघ साहेब का  'शांति पुरुष' 
    एल. आर. गांधी 
 
इस  माह २६ नवम्बर को तीन वर्ष हो जाएंगे ..ग्लानी जी के 'शांतिदूत' की मेहमान नवाजी को . इसे हम  अतिथि देवोभव की प्राचीन राष्ट्रिय संस्कृति कहें या फिर हमारे सेकुलर शैतानो का आस्तीन में  सांप पालने का गाँधी वादी व्यसन. हमारे 'ईमानदार', गाँधीवादी, अर्थशास्त्री,प्रधान मंत्री जी ने पाकिस्तान के वजीरे-आला युसूफ रज़ा गिलानी को दक्षेस शिखिर संमेलन में 'शांति पुरुष' कह कर अंग्रेजी की कहावत... 'As dog return to its vomit, so a fool repeat his foolishness. जैसे कुत्ता अपनी उल्टी खाने को लौटता है , वैसे ही मूर्ख अपनी गलती दोहराता है, की कहावत को चिरतार्थ कर दिया. 
वोट के अंधे नाम नयन सुख हमारे यह 'सेकुलर शैतान' मूर्खता की सभी सीमाएं लांघ गए है . जिस शैतान ने हमारी आर्थिक  राजधानी मुम्बई पर जेहादी भेज कर देश की अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने का षड्यंत्र किया और १६६ निर्दोष भारतियों को मौत के घाट उतार दिया ...उसे हमारे प्रधान मंत्री जी ने  'शान्ति पुरुष' की उपाधि दे डाली ... अब तो बस अजमल कसाब को ग्लानी जी का 'शांति दूत ' घोषित करना बाकी है. और हाँ एक दूत के साथ एक परम आदरणीय अतिथि के व्यवहार की तो सभी सीमाएं हम पार कर ही चुके .... ५५ करोड़ रूपए से भी अधिक ,  उसकी तीमारदारी पर खर्च कर !  अब तो बस यह ' शान्ति दूत ' वापिस पाक को बा- इज़त सौंपना ही बाकी है ... या फिर किसी कंधार हाईजैक का इंतज़ार है !
हमारे सिक-यु-लायर हुकुमरानो ने समय और इतिहास के काल चक्र से कोई सबक नही सीखा. इस्लामिक जेहाद ने पिछली १५ शताब्दिओ मे १०० मिलियन हिन्दुओ और ६० मिलियन इसाईयो  की बळी ले लीई. और आज भी विश्व के अस्तित्व को इस्लामिक जेहाद  से ही सबसे बडा खतरा है. शायद ये उस दिन के इंतेजार  मे  है जब सारा देश दारूल -इस्लाम हो जाएगा ?  
आज 'गुरूपर्व' का पवित्र दिवस है - आज के दिन 'सरबत का भला ' चाहणे  वाले महान संत गुरु नानक देव जी का परकाश हुआ था. गुरु जी 'बाबर' के समकालीन  थे- बाबर के अत्याचारो को देख कर गुरु जी ने उसे 'जाबर' अर्थात जुलमी कह कर पुकारा. एनी मार पडी कुर्लाने- तै किई दर्द न आया भी गुरु जी ने बाबर के जुल्मो-सितम से द्रवित हो कर बोला.इसी दिन को हमारे सिंघ साहेब ने 'बाबर' के एक अनुयायी को 'शांती पुरुष' की उपाधी दे डाळी. २००५ में हमारे सिंघ साहेब अपने साथ राज कुमार को ले कर अफगाणिस्तान पहुचे ताकि भारत द्वारा अरबो रुपये खर्च कर किये जा रहे निर्माण कार्यो  का जायजा ले सके. लगे हाथो बाबर की मजार पर गये और एक 'जाबार' को श्रद्धांजली अर्पित की . अब तो अफगाणिस्तान के हुक्म्रान करजाई ने भी साफ कर दिया की वे तो पाकिस्तान के साथ है ...  भले ही भारत और अमेरीका  उन पर कितना ही  धन खर्च  करे. ...कुरान में साफ हिदायत है की काफिर चाहे कितना ही   धर्मात्मा हो वह किसी गुनाहगार मुस्लीम से बेहतर नही होता. करजाई के इस इस्लामिक तेवर से हमारे सिक-यु-लायर हुकमराण नही चेते ..और निकल पडे  ग्लानी को अलंकरित करने. इसे कहते है - सांप को दूध पिलाने का पुराना व्यसन . चाणक्य के उपदेश को भी भूल गये ' सांप को कितना ही दूध पिलाओ फिर भी विष ही वमन करता  है.