रविवार, 16 जनवरी 2011

आज के युग में पति द्वारा औरत को पीटना क्या जायज है ?










आज के युग में पति द्वारा औरत को पीटना क्या जायज है ?
                            एल.आर.गान्धी. 

भारतीय राजनयिक अधिकारी अनिल वर्मा ने अपनी पत्नी को क्या पीट दिया ' सारे सभ्य समाज में बवाल मच गया . भारत ने भी अपने अधिकारी को वापीस बुला लिया और उसके खिलाफ सख्त कारर्वाही की जाएगी ?
इसी बीच वर्मा की पत्नी प्रोमिता ने अपने और पांच वर्षीय बेटे के लिए लन्दन में शरण देने की गुहार लगाई  है. एक सभ्य समाज में पति द्वारा अपनी पत्नी को पीटना एक अक्षम्य अपराध है और होना भी चाहिए !
यदि लन्दन के स्थान पर  यहि राजनयिक साउदी अरब में होता तो क्या वहाँ की सरकार भी एसी ही कारर्वाही करती- जाहिर है बिल्कुल नहीं . एक मुस्लिम देश में कुरान की हिदायतों के अनुरुप 'शरियत' कानून नासिर हैं और शरियत में पति द्वारा औरत को पीटना कोइ जुर्म नहीं ! 'किसी आदमी से यह नहीं पुछा जायगा कि उसने अपनी बीवी को क्यों पीटा - पैगम्बर.... इस्लाम में एक समय में चार बीवियाँ तक रखने की इज़ाज़त है और इसके इलावा उतनी लौंडियाँ   भी जितनी कोइ रख सके  ! औरत को आदमी के साथ् बराबरी का कोइ अधिकार नहीं इस्लाम में.... तभी तो पिता की ज़ायदाद में लड्की को लड़के से आधे हिस्से का अधिकार दिया गया है. (२.११,४.१२,१७५ ) . 
पिचले दिनो एक पश्चमी देश में किसी मुस्लिम महिला ने कोर्ट में फर्याद की कि उसका पति उसको पीट्ता इस लिए उसे तलाक की इज़ाज़त दी जाए. कोर्ट ने कुरान के दृष्टान्त दे कर महिला की अर्जी खारिज कर दी .. क्योंकी महिला मुसलमान है और कुरान को मानती है इस लिए उसके पति को उसे  पीटने का अधिकार  है.
मुस्लिम देशों में भी अब 'शरियत कानूनों की आड में मर्दों द्वारा औरतों पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज बुलन्द होने लगी है. पिछ्ले दिनों बंगला देश में चार बीवियों ने अपने शौहर की खूब धुनाई कर डाली. हुआ यों कि ४६ वर्षीय औटो  रिक्षा चालक युसुफ मियाँ अपनी दो बिवियों को जब   मेला दिखा रहा था तो वहाँ उन्हें उसकी तीसरी बीवी मिल गइ - यहीं पर बस नही - तीसरी बीवी ने पहली दो बीवियों को बताया की एक बीवी और भी है. बस फिर क्या था सभी बीवियों ने युसुफ मियाँ की खूब धुनाई की ...और शरियत के कानून धरे के धरे रह गए ! ऐसा ही एक किस्सा इस्लामिक रिपब्लिक पाक साफ 'पाकिस्तान के पन्जाब प्रदेश का है. गुज्रान्वाला  शहर के  मियाँ इसहाक अपने एक दोस्त के निकाह समारोह में मश्रूफ थे और उसके साथ् थी उनकी तीसरी बेगम ! तभी दर्ज़नो सगे सम्बंधियों संग इसहाक मिया की दो बीविया मेह्विश और उज्मा वहाँ पहुँच गईं- और सभी ने मिल कर मियाँ इसहाक की खूब धुनाई की , क्योंकी  उन्हें भनक लगी थी की इसहाक मिया पाँचवी बार निकाह की योजना बना रहा था....  
वर्मा साहेब पर भारत की सैकुलर सरकार कानून के अन्तर्गत कारर्वाही करने जा रही है और करनी भी चाहिए. क्योंकी हमारे संविधान में सभी नर नारियों को समान अधिकार प्राप्त हैं. शायद ये  संविधानीक  अधिकार मुस्लिम औरतो के लिए कतई नहीं हैं. जब देश की सर्वोच्च अदालत ने शाहबनों को 'गुज़र बसर भत्ते' का अधिकार देते हुए फैसला सूनाया तो इस्लाम के पैरोकार मौल्वियों के विरोध के आगे हमारे सैकुलर राजवाड़े घिघियाने लागे और अदालत का फैसला संसद में 'रद्द' कर दिया. इस्लाम में तो बीवी को पीटने का पति को पूरा अधिकार दिया गया है और एक समय में बेंत से दस वार करने की हिदायत है .. और जो स्त्रियाँ एसी हों , जिनके विद्रोह से तुम्हें भय हो , उन्हें डाटो, फटकारो 'विस्तार में उन्हें तनह छोड दो और मारो. फिर यदि वे तुम्हारी बात मानने लागें तो उनके विरुद्ध कोइ राह मत डूंडो ! निस्सन्देह अल्लाह सबसे उच्च और सबसे महान है....   कुरान ..४.३४ .. 

                          

  

मंगलवार, 4 जनवरी 2011

गाँधी गिरी बनाम आतंकवाद








     एल.आर. गाँधी  
 निरंतर पिटने और कौक्रोच पालने को हमने अपना राष्ट्रीय व्यसन बना लिया है. 
कोई एक गाल पर मारे तो अपना दूसरा गाल उसके आगे कर दो ! राष्ट्र पिता ? की  नीति थी , जिसे हमने अपनी नियति मान लिया और उन्ही की नीतियों पर चलते हुए 'आस्तीन में सांप  पालने' का व्यसन हमारे सेकुलर शैतानों की राष्ट्रिय पहचान बन गया है. आस्तीन के सांपों ने राष्ट्र के लोक तंत्र के मंदिर 'संसद पर आक्रमण किया और सुरक्षा प्रह्रिओं ने अपनी जान पर खेल कर ' अपने  आतंकियों ' से संसद और सांसदों को किसी तरहं बचा लिया ! पोटा अदालत में एक  साल की सुनवाई के बाद तीन अभियुक्तों को सजाए मौत और अफसाना को पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई. अक्तूबर २००३ में उच्च न्यायालय ने अफसाना और गिलानी को दोष मुक्त कर दिया . सर्वोच्च न्यायालय ने २००५ में मुख्य अभियुक्त अफज़ल गुरु की सजाए मौत को बरकरार रखा और उसके चचेरे भाई शौकत गुरु की सजा घटा कर १० वर्ष कारावास कर दी. 
दस वर्ष बीत जाने पर भी बापू की सेकुलर सरकार अफज़ल गुरु को फांसी की सजा पर अमल कर पाने की  'पसोपेश' में है और नित नए नए बहाने बना कर 'काक्रोच' पाल रही है. पहले अफज़ल की फ़ाइल शीला जी के  कपबोर्ड में सालों पलती रही और गृह  मंत्री जी 'याद पत्रों' की खाना पूर्ती करते रहे . अब फ़ाइल चिदम्बरम जी के कपबोर्ड में पल रही है और गृह मंत्री जी  महामहिम प्रतिभा जी  को पहले  भेजे  गए केसों पर फैसले की बाट जोह रहे हैं. क्योंकि सेकुलर सरकार हर काम कायदे से करती है भले ही सालों बीत जिएँ ?
यह तो थी ' अफज़ल गुरु' पर सरकार की कछवा चाल  कार्रवाही की कहानी. अब उसके चचेरे भाई शौकत गुरु पर सेकुलर सरकार की सुपर फास्ट कहानी मुलाहिजा फरमाएं. ! शौकत की दस साल की सजा में से सभी सरकारी रियायतों के उपहार सवरूप ९ मॉस काट कर उसे रिहा कर दिया गया. शौकत मियां को अच्छे आचरण के चलते प्रति माह २ दिन माफ़ कर दिए गए और ऐसे ही २ दिन  प्रति माह अच्छे काम के मिले. १ दिन प्रति माह आपने काम से छुट्टी न करने के. फिर कैदियों को राज्य सरकार ' गणतंत्र दिवस ' पर १ माह की छूट भी देती है , और शौकत मियां से बढ़ कर  इस छूट ' का दूसरा कोई और हक़दार तो हो ही नहीं सकता. ३ साल की कैद के बाद वार्षिक छूट सो अलग. जेल नियमावली के अनुसार 'शौकत मियां' को सभी रियायतें एक साथ दे कर बिना एक भी दिन जाया किये ' आज़ाद' कर दिया गया . क्योंकि उसके गृह राज्य कश्मीर में बरफ बारी हो रही है इस लिए वह  दिल्ली के आजादपुर मंडी इलाके में आपने एक सम्बन्धी के यहाँ टिका हुआ  है.
सेकुलर सरकार के  इस राष्ट्रिय व्यसन 'एक गाल पर चांटा खाओ  और दूसरी तैयार रखो ! से हमारा पडोसी पाकी -शैतान चिर परिचत है . तभी तो उसने मुम्बई पर 'जेहादी' हमला कर हमारी आर्थिक राजधानी को हिला कर रख दिया और १६६ बेगुनाह भारतियों और विदेशी मेहमानों को मार डाला. हम फिर आपने राष्ट्रिय व्यसन के अनुसार ' कसाब' रुपी कौक्रोच को पाले हुए हैं चाहे उसके लालन पालन पर ५०% भूखो के देश का ५० करोड़ रुपया खर्च क्यों न  हो गया . अरे यह तो जिंदा काक्रोच है - हमने तो कसाब के ९ मृत 'जेहादियों' को भी सवा साल तक अस्पताल के 'शव कक्ष ' में संभाले रखा ! यह तो हुए हमारे 'काक्रोच' और आस्तीन के सांप जिन्हें हम बड़े चाव से पाल रहे हैं . यहीं पर बस नहीं ' पाकी-शैतान ' पर हम लम्बे आर्से से दवाब डाल रहे हैं कि वह अपने  यहाँ के 'भारत विरोधी ' आतंकियों को हमारे हवाले करे . अमेरिका और अन्य  देशो को भी गुहार लगा रहे हैं. ताकि हमारा राष्ट्रिय व्यसन , वही '  काक्रोच पालने का ' परवान चढ़ सके . 
  एक ओर तो हम पाकी -शैतान को विश्व के समक्ष आतन्कवाद की जन्म स्थली सिध् करने का कोइ अवसर हाथ्  से नहि जाने देते। दूसरी ओर हमारी सैकुलर सरकार  ' ज़ेहाद् ' के केन्द्र मदरसो को आर्थिक सहायता  दे कर प्रोत्साहित कर रहि है। सरकारी सहायता की होड में सामान्य मुस्लिम संचालित सकूल् भी 'मदर्से' का बोर्ड लगा कर सरकारी ग्रान्ट हद्दप्  जाते हैं।  एसे मदर्से जहा बच्चो  को शरियत और ज़ेहाद् का पाठ पिलाया जाता है हमारे यहा पाक से सौ  गुण अधिक  हैं।    
फिर भी हमारे दिग्गी मियां और चिद्दी मियां को सिर्फ और सिर्फ भगवा आतंक से ही खतरा दिख रहा है. 

     
  

सोमवार, 3 जनवरी 2011

धरा- दिनकर का लुका छिपी महोत्सव ....

धरा- दिनकर का लुका छिपी महोत्सव ......

                    एल. आर. गाँधी. 
                               
 आज दिनकर.... धरा... संग लुक्का छिप्पी का खेल खेलेंगे .....
अनादी काल से एक पैर पर गोलाकार नृत्य में निमग्न धरा अपने प्रियतम की परिक्रमा में तल्लीन है और दिनकर भी निरंतर निहारते हुए अपनी उर्जा की पुष्प वर्षा कर उसे अखण्ड  सौभाग्यवती भव की मंगल आशीष से आनंदित कर रहे हैं . भ्रमांड के इन प्रथम प्रेमिओं के सृष्टि सम्भोग का आज महोत्सव है. नए वर्ष में ऐसे छह महोत्सव होंगे और चार जनवरी को इस प्रथम  उत्सव का विश्व मन्चन प्रात्य से  सांय तक चलेगा ...लो ... चाँद ने मंच संचालन का जिम्मा संभाल लिया है.... धरा ने आँखें बंद कर लीं.... और....और  दिनकर ने छुपने का स्थान ढूंढने की कवायत शुरू कर दी...... लो दिनकर छुप गए...और ... और धरा दबे पाँव अपने प्रियतम को ढून्ढ रही है. ...चाँद चुप चाप इस खेल को निहार ..ठंडी आहें भर रहा है. मानो.... तीनों आज सदिओं के बाद इतनी लम्बी छुट्टी पर पिकनिक माना रहे हैं ..पिछले कई दिनों से सूर्या देव इस उत्सव की तैयारी में लगे थे.... बादलों की ओट में छुपने का अभ्यास कर रहे थे... और धरा उनके इस लुका -  छुपी के खेल से पानी पानी हो पिंघल कर जमी जा रही थी .
वैज्ञानिक विशाल काय दूरबीनों से इस महापर्व को निहार रहे हैं और इस महा सृष्टि सम्भोग से पैदा होने वाली उथल पुथल की विवेचना में लगे हैं और हम लोग अपने परलोक की चिंता में ग्रस्त प्रदूषित-पवित्र ठन्डे जल की डुबकियां लगाने में व्यस्त हैं कुरुक्षेत्र की पुन्य भूमि में लोग इस ग्रहण के  दुष्परिणामों  से निजात पाने के लिए धार्मिक अनुष्ठान आयोजित करेंगे.  अपनी भविष्य  विज्ञान  की पोथिओं के गर्भ से 'कुम्भ राशी' के जातको को आतंकित कर , सूर्य ग्रहण से होने वाली विप्पत्तियो से छुट्कारे के उपाए सुझा कर 'मोटी दक्षिणा' बटोराने में,ज्योतिषी  सिध्हस्थ हैं.   और सरकार ने पुन्य भूमि  कुरुक्षेत्र  में छुट्टी  घोषित कर दी है.ब्रह्म सरोवर में डुबकी लगाने के लिए ५ लाख श्रधालुओं के आने की उम्मीद थी - कहते हैं इस वक्त की एक डुबकी जन्म जन्मान्तर के पाप हर लेती है ! मगर सरोवर के घाट को देख कर ऐसा आभास हो रहा था जैसे कहर की ठण्ड के आगे आस्था ठिठुर कर ठिठक गई...कहर की ठण्डी और अनजाने से  परलोक की  चिन्ता में बर्फीले पानी की डुबकी !.. न बाबा न ... .हम तो भई इतनी ठंडी में 'पंच-स्नान ' से ही संतुष्ट हैं और देव लोक प्रद्दत सोम रस की चुस्कियों में विश्व के प्राचीनतम प्रेमियों की रास लीला का लुत्फ़ उठा रहे हैं . 
हमारी गृह लक्ष्मी जी शीतल जल से स्नान कर एक हाथ में दूब के तिनके और दूसरे में गंगा जल का लोटा लिए सारे घर में गंगा जल का छिडकाव कर आसुरी शक्तिओं को बाहर का रास्ता दिखा रहीं हैं. ग्रहण से पूर्व सभी खाद्य पदार्थों में एक-एक दूब का तिनका टिका दिया गया था ताकि सूर्य ग्रहण के दुष्परिणामों से बचे रहे. 
इसे कहते हैं कुंठित मान्यताओं के अंधकूप में डूबते को 'तिनके' का सहारा !