गुरुवार, 14 अक्तूबर 2010

निर-आहार गरीब को ..विलक्षण पहचान अंक -आधार

निराहार गरीब को ...

विलक्षण पहचान अंक -आधार
एल.आर.गाँधी.

आखिर ढूंढ ही लिया राज वधु ने गरीबी उन्मूलन का आधार - अब कोई भी जालसाज़ अपनी पहचान छुपा कर गरीब का राशन नहीं हड़प पायेगा !
पहला विलक्षण पहचान अंक महाराष्ट्र के गाँव तेम्भ्ली की सौभाग्यवती रंजना सोनावाने के ६ वर्षीय पुत्र हितेश को सोनिया जी ने अपने कर कमलों से प्रदान किया . मनमोहन जी इस महान पर्व के गवाह थे. इस विलक्षण पहचान अंक को नाम दिया गया है 'आधार' . सौभाग्यवती रंजना सोनवाने 'आधार' का उपहार और वह भी 'राज वधु' के हाथों पा कर भी खुश नहीं . जब पत्रकारों ने अपने चिरपरिचित अंदाज़ में सोनवाने से पूछा 'यह सन्मान पा कर आपको कैसा लग रहा है. तो वह झल्ला कर बोली 'कैसा सन्मान ' हमारे पास खाने को तो कुछ है नहीं. मिटटी के चूल्हे में आग जलाते हुए वह बुदबुदा रही थी 'पिछले एक महीने से सरकारी अफसरों ने जीना मुहाल कर रखा है. हमें काम पर भी नहीं जाने दिया -हर रोज नया प्रमाण मांगते . हौसला नहीं जुटा पाई वरना सोनिया से पूछती - दे सकती हो तो हमें सन्मान जनक जिंदगी दे दो- हर दूसरी रात मेरे बच्चे भूख के कारन सो नहीं पाते ! १४०० की आबादी वाले इस गाँव में लोग समझ नहीं पाए कि 'आधार' से उनकी जिंदगी कैसे संवर जाएगी जबकि 'आहार ' दो जून की रोटी के लिए तो सभी वयस्कों को कटाई के मौसम में सौरास्टर पलायन करना पड़ता है. जलसे में सोनिया जी ने लोगों को समझाया कि इस पहचान कार्ड से उन्हें एक नई पहचान मिलेगी जिससे उनकी ज़िन्दगी संवर जाएगी मगर 'कैसे' यह कोई नहीं बता पाया.
६ वर्षीय हितेश के हाथ में 'कार्ड' थमा कर सोनिया जी ने मानो पूरे देश को सन्देश दे डाला 'कि अब कोई बच्चा भूखा नहीं सोएगा' ! सन्देश भी दिया उस देश को जहाँ 'कुपोषित बच्चों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है. यू.एन.के अनुसार भारत में ५ वर्ष से कम आयु के २.१ मिलियन बच्चे प्रति वर्ष अकाल मृत्यु के आगोश में समा जाते है. ऐसे कुपोषित बच्चों की संख्या चीन में ७% है, सब सहारा अफ्रीका में २८ % और भारत में ४३% . प्रति दिन १००० बच्चे तो उलटी-दस्त का शिकार हो जाते हैं. यह बात अलग है कि देश की सेकुलर छवि बरकरार रखने की खातिर या फिर वोट की खातिर हमारी सेकुलर सरकार हर साल 'हज यात्रियों ' को ही ८२६ करोड़ की सब्सिडी दे देती है.
रही बात हमारे 'आट्टा मंत्री' श्री श्री शरद पंवार जी के प्रदेश महाराष्ट्र की - विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो प्रदेश में कुपोषित बच्चों की संख्या ३.१५ लाख है. मुंबई में तो यह संख्या ६० गुना बढ़ गई- मई में ३९७ थी और जुलाई में २४२५१ हो गई , क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुपोषण के नए मापदंड निर्धारित कर दिए हैं .
एक ओर हम कामन वेल्थ खेलों के सफल आयोजन पर इतरा रहे हैं .कलमाड़ी जी तो खेलों पर एक लाख करोड़ खर्च कर अभी से 'ओलम्पिक' की तैयारी में लग गए हैं. विदेशी विनियोग का आंकड़ा एक लाख करोड़ होने पर बंगाली बाबू फूले नहीं समा रहे. ऐसे में भारत को विश्व के ८४ 'भूखे -नंगे' देशों में ६७ वी पायदान पर खड़ा देख कर कामन वेल्थ के सोने -चाँदी- कांस्य के मैडल और विदेशी विनियोग के ऊँचे ऊँचे दावे 'टाट में पैबंद' की मानिद दिखाई देते हैं.